लेखनी डायरी- 23-12-2021 जून
प्यारी सखी डायरी,
आज इंस्टाग्राम पर दीपक गोगिया @शब्दहार की कुछ पंक्तियाँ पढ़ी जो दिल को कहीं भीतर तक द्रवित कर गयी और सोचने पर कहीं ना कहीं मजबूर कर दिया। पंक्तियाँ कुछ इस प्रकार हैं.........
"जिस दिन चली जाएँगी यशोधराएँ बिन कुछ कहे, क्या सह पाएंगे बुद्ध उनका यूँ चले जाना"
सच ही तो लिखा है लेखक ने। अगर एक स्त्री बिना कुछ कहे अपने पति और बच्चे को नींद में सोता हुआ छोड़कर सुबह-सुबह निकल जाती तो समाज क्या कहता उसे, स्वयं उसका पति, परिवार इस बात को क्या स्वीकार कर पाता? अगर वो कहती, वो आध्यात्मिक यात्रा पर निकली है, ज्ञान की खोज में तो भी क्या हम उसकी सोच को, विचारधारा को स्वीकार कर पाते?
स्त्री के ऐसे चले जाने पर समाज, उसका पति, परिवार सब उसका चरित्रहनन करने लगते। उसे एक गैर ज़िम्मेदार पत्नी और माँ ठहराया जाता। उसे कलंकित मानकर उसके जीवित रहते हुए, उसे मृत मान लिया जाता और फिर उसका पति दूसरा विवाह कर लेता और अपनी जिंदगी ख़ुशी-ख़ुशी गुजारता।
स्त्री के लिए अध्यात्म, ज्ञान जैसे शब्द शब्दकोष में बने ही नहीं है। उसे जो कुछ भी करना है चार दीवारी के भीतर ही करना है। कभी देखा है किसी स्त्री को अपने परिवार को छोड़ ज्ञान की तलाश में भटकते हुए, गृहस्थी से सन्यास लेते हुए। हो सकता है कुछ अपवाद हों, लेकिन मैंने हमेशा पुरुषों को ही देखा है सन्यास लेते हुए।
मैं बुद्ध को गलत नहीं ठहरा रही। बुद्ध परमज्ञानी हैं, भगवान हैं, पूजनीय हैं। मैं इस लायक नहीं कि उनके बारे में कोई टिप्पणी कर सकूँ।
लेकिन बस दीपक गोगिया जी की पंक्तियों ने उस दिशा की ओर सोच को मोड़ दिया, जिसके बारे में कभी सोचा ही नहीं था। हमेशा बुद्ध की तरफ तो ध्यान गया पर यशोधरा के बारे में कभी सोचा ही नहीं।
बुद्ध के यूँ बिना कुछ कहे चले जाने पर उन पर क्या गुज़री होगी, किस तरह सामना किया होगा उन्होंने ने समाज का और अपने परिवार का, कैसे व्यतीत किया होगा लंबा जीवन यूँ अकेले अपने पति के बिना।
सच कहूं तो कभी-कभी लगता है स्त्री और पुरुष कभी बराबर हो ही नहीं सकते। स्त्री के लिए जीवन जीने के नियम अलग हैं और पुरुषों के लिए अलग।
तुम्हें क्या लगता है सखी? चलो अब अपनी सोच को यहीं पूर्णविराम लगाती हूँ। वेशभूषा बदली जा सकती है लेकिन मानसिकता बदलना इतना भी आसान नहीं।
फिर मिलते हैं।
❤सोनिया
🤫
23-Dec-2021 07:56 PM
सही कहा अपनी कभी सिक्के के पहलुओं को बदल कर भी देखिए...
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